NEFT व RTGS में अंतर
हमारे देश भारत में भुगतान और निपटान प्रणाली पर भुगतान व निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 PSS अधिनियम - के द्वारा किया जाता
है। यह दिसंबर 2007 में संसद में पारित
हुआ। देश के ऊपरी मौद्रिक संस्थान के
नाते भारतीय रिजर्व बैंक का कर्तव्य है कि देश के भुगतान या पेमेंट प्रणाली में तकनीकी उन्नति हो। बैंक का यह दायित्व है कि भुगतान के लिए अधिकतम लोग अपनी भूमिका निभाए। भारत में हर प्रकार की भुगतान प्रणालियां इसी रिजर्व बैंक के दिशा निर्देश में
कार्य करती हैं।
भारत में वर्तमान में अनेक भुगतान प्रणालियाँ प्रचलन में हैं
जैसे कि :-
1.
राष्ट्रीय
इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण या National
Electronic Funds Transfer -NEFT
2.
तत्काल सकल निपटान
या Real Time Gross Settlement- 'RTGS'
3.
तत्काल भुगतान सेवा
या Immediate Payment Service-IMPS
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर या NEFT
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर को NEFT कहा जाता है। यह भारत में प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण
प्रणालियों में से एक है। इसे नवंबर 2005 में आरम्भ किया गया था। NEFT से किसी व्यक्ति के अकाउंट में से किसी दुसरे व्यक्ति के अकाउंट में
रूपये भेजे जा सकते हैं। इसमें रुपया उसी समय लाभार्थी या Beneficiary के अकाउंट में नही
जमा किया जा सकता। इसको भेजने में प्रति घंटे के हिसाब से समय बंटा होता हैं। इसे
इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के द्वारा किया जाता है। यह देश की 30,000 बैंकिंग शाखाओं में हैं। भारत में इसके द्वारा से सन 2014-15 में $-890 अरब हस्तांतरित किये गए थे पिछले साल यह US$650 थे।
तत्काल सकल निपटान
या Real Time Gross Settlement RTGS
तत्काल सकल निपटान या Real Time Gross
Settlement RTGS लगभग 16 दिनों में देश की जीडीपी के बराबर लेन-देन कर देती है। RTGS राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली द्वारा से देश के उच्च मूल्य
लेनदेन के 95% भुगतान करती हैं | यह भुगतान प्रणाली पूरे विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग
की जाती है| 1985 में इस द्वारा से 3 देशों के केन्द्रीय बैंक भुगतान करते थे। इस समय विश्व के 100 से अधिक देश इसका प्रयोग कर रहे हैं। RTGS के द्वारा से हस्तांतरण बिना किसी देरी से किया जाता
है। इसमें जैसे ही किसी व्यक्ति ने ऑनलाइन पैसे भेजने के लिए ओके का बटन
दबाया उसी समय दुसरे के अकाउंट में पैसे पहुँच जाते है।
तत्काल भुगतान सेवा
या Immediate Payment Service - IMPS
तत्काल भुगतान सेवा Immediate Payment
Service या IMPS को सार्वजनिक रूप
से 22 नवंबर, 2010 को आरम्भ किया गया। इसके द्वारा एक बैंक अकाउंट
से दूसरे बैंक अकाउंट में धन कभी भी और किसी भी समय भेजा जा सकता है| इस सेवा का प्र्यप्ग मोबाइल के द्वारा भी उठाया जा सकता है।
NEFT, RTGS के उल्टा है , इस सेवा का प्रयोग
बैंक की छुट्टियों के दौरान भी किया जा सकता है। पूरे सन में 24x7 इस सुविधा का प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रबंधन
राष्ट्रीय भुगतान निगम National Payments Corporation of India या NPCI द्वारा किया जाता
है। |
आइये अब हम NEFT एवं RTGS में अंतर जानें
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक
फंड ट्रांसफर/ NEFT व तत्काल सकल
निपटान/RTGS में अंतर
इन भुगतान सेवाओं में अंतर :-
1.
NEFT से ट्रांसफर
मुख्यतः छोटे बचत खाता धारक करते हैं। RTGS का प्रयोग बड़े उद्योग घराने करते हैं।
2.
NEFT के द्वारा भुगतान
थोड़े समय बाद होता है। RTGS द्वारा भुगतान उसी
समय हो जाता है।
3.
NEFT छोटी राशि भेजने के
लिए प्रयोग की जाती है। RTGS कम से कम 2 लाख रुपये ट्रांसफर
करने के लिए की जाती है। NEFT के मामले में कोई
न्यूनतम या अधिकत्तम त्ट्रान्सफर की सीमा नही है।
4.
NEFT के द्वारा से पैसे
भेजने के लिए बैंकों में सोमवार से शुक्रवार तक सुबह के 9 बजे से शाम के 7 बजे तक का समय तय रहता है जबकि शनिवार के दिन सुबह के 9 बजे से दोपहर के 1 बजे तक पैसे भेजे जा सकते हैं | लेकिन RTGS प्रणाली से पैसे
तुरंत (continuous basis पर ) भेज दिए जाते हैं (लेकिन उस दिन बैंक का खुला होना जरूरी होता है)
हस्तांतरण पर शुल्क
NEFT पर शुल्क
लेनदेन के लिए
1 लाख रुपये के लिए -
रुपए 5 + सेवा कर
1 लाख रुपये से
ज्यादा व 2 लाख से कम - 15 रुपये से अधिक नही (+सेवा कर)
2 लाख रुपये से अधिक -
25 रुपये से अधिक नही
(+सेवा कर)
RTGS पर शुल्क
2 लाख से 5 लाख तक शुल्क - 30 प्रति हस्तांतरण से अधिक नही
5 लाख से अधिक के लिए
शुल्क - 55 प्रति हस्तांतरण से
अधिक नही
देश में तकनीकी और शैक्षिक विकास होगा तो जनता के पास ज्यादा संख्या में मोबाइल, इन्टरनेट की सुविधा होगी। इलेक्ट्रोनिक साधनों से लेन देन की संख्या और बजट में प्रत्येक साल वृद्धि होती जायेगी।