चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने प्राथमिक स्तर पर कार्यरत अध्यापकों के लिए विभिन्न शैक्षणिक स्तर पर छात्रों को व विभिन्न विषयों से सम्बन्धित शिक्षण कार्य में संलिप्त शिक्षकों के कार्य में समरूपता तथा शिक्षण कार्य को समय पर करवाने के लिए कक्षा पहली से पांचवी तक विभिन विषयों हिंदी, अंग्रेजी, गणित, पंजाबी, तथा पर्यावरण अध्ययन की शैक्षणिक योजना तैयार की हुई है।
इस शैक्षणिक योजना के अंतर्गत किसी भी कक्षा विशेष के पाठ्यक्रम को सप्ताहिक इकाइयों में बांटा गया है। हर सप्ताह में एक विशेष इकाई को करवाने का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने के पीछे शिक्षा विभाग की योजना नए व पुराने प्राथमिक शिक्षक दोनों को किस समय विशेष पर क्या पाठ्यक्रम करवाना है, का ज्ञान दिलवाना है। इसी के साथ इन अकादमिक योजना में शिक्षकों को पाठ किस प्रकार से पढ़ाना है इसकी विस्तृत रूप रेखा दी गयी है। शिक्षा विभाग विभिन प्राथमिक अध्यापकों से यह अपेक्षा रखता है कि वे इस अकादमिक योजना को मद्देनजर रखते हुए अपना शिक्षण कार्य करें। इससे जहां एक और तो अध्यापक को यह पता चलता है कि उसे किस समय विशेष पर क्या इकाई पढ़ानी है व साथ साथ उसे इकाई को किस प्रकार से पढ़ाना है, कौन सी शिक्षण विधि आदि का प्रयोग करना है , यह सब बताना भी है।
इसी के साथ साथ जहां इस अकादमिक योजना के बहुत से फायदे हैं वहां दूसरी और कुछ अध्यापकों के अनुसार इस अकादमिक योजना का पालन करने में दिक्कते सामने आती हैं। उनके अनुसार प्राथमिक स्तर पर इस प्रकार आलोचशील योजना लागू करना बेहद मुश्किल है। कई बार किन्ही कारणों से कोई पाठ अगर अकादमिक योजना में दिए गए समय के अनुसार पूरा नहीं हो पाता तो उनके समक्ष विभागीय कार्यवाही होने की समस्या सामने आ सकती है। वहीं दूसरी और कुछ शिक्षकों का मानना है कि यदि कोई अध्यापक अगर अपनी कुशलता के अनुसार सही तरह से शिक्षण कार्य कर रहा है और उसके खुद के द्वारा बनाई गयी पाठ योजना और अकादमिक योजना प्रभावी है और उससे बच्चे अधिकतम लाभ प्राप्त कर रहें है तो शिक्षा विंभाग को कोई आपत्ति नहीं होएगी क्योंकि अकादमिक योजना अध्यापक के के लिए सहायक साधन है जो अध्यापक की सहायता कर सकता है, यदि अध्यापक खुद कोई योजना बनाने में सफल नहीं रह पाता। अगर अध्यापक खुद ही अच्छे प्रकार से अपने पाठ को अपनी खुद की बनाई गयी योजना के अनुसार पढ़ सकता है व छात्रों को अछि प्रकार से समझाया सकता है तो शिक्षा विभाग आपत्ति नहीं करेगा।
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इस शैक्षणिक योजना के अंतर्गत किसी भी कक्षा विशेष के पाठ्यक्रम को सप्ताहिक इकाइयों में बांटा गया है। हर सप्ताह में एक विशेष इकाई को करवाने का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने के पीछे शिक्षा विभाग की योजना नए व पुराने प्राथमिक शिक्षक दोनों को किस समय विशेष पर क्या पाठ्यक्रम करवाना है, का ज्ञान दिलवाना है। इसी के साथ इन अकादमिक योजना में शिक्षकों को पाठ किस प्रकार से पढ़ाना है इसकी विस्तृत रूप रेखा दी गयी है। शिक्षा विभाग विभिन प्राथमिक अध्यापकों से यह अपेक्षा रखता है कि वे इस अकादमिक योजना को मद्देनजर रखते हुए अपना शिक्षण कार्य करें। इससे जहां एक और तो अध्यापक को यह पता चलता है कि उसे किस समय विशेष पर क्या इकाई पढ़ानी है व साथ साथ उसे इकाई को किस प्रकार से पढ़ाना है, कौन सी शिक्षण विधि आदि का प्रयोग करना है , यह सब बताना भी है।
इसी के साथ साथ जहां इस अकादमिक योजना के बहुत से फायदे हैं वहां दूसरी और कुछ अध्यापकों के अनुसार इस अकादमिक योजना का पालन करने में दिक्कते सामने आती हैं। उनके अनुसार प्राथमिक स्तर पर इस प्रकार आलोचशील योजना लागू करना बेहद मुश्किल है। कई बार किन्ही कारणों से कोई पाठ अगर अकादमिक योजना में दिए गए समय के अनुसार पूरा नहीं हो पाता तो उनके समक्ष विभागीय कार्यवाही होने की समस्या सामने आ सकती है। वहीं दूसरी और कुछ शिक्षकों का मानना है कि यदि कोई अध्यापक अगर अपनी कुशलता के अनुसार सही तरह से शिक्षण कार्य कर रहा है और उसके खुद के द्वारा बनाई गयी पाठ योजना और अकादमिक योजना प्रभावी है और उससे बच्चे अधिकतम लाभ प्राप्त कर रहें है तो शिक्षा विंभाग को कोई आपत्ति नहीं होएगी क्योंकि अकादमिक योजना अध्यापक के के लिए सहायक साधन है जो अध्यापक की सहायता कर सकता है, यदि अध्यापक खुद कोई योजना बनाने में सफल नहीं रह पाता। अगर अध्यापक खुद ही अच्छे प्रकार से अपने पाठ को अपनी खुद की बनाई गयी योजना के अनुसार पढ़ सकता है व छात्रों को अछि प्रकार से समझाया सकता है तो शिक्षा विभाग आपत्ति नहीं करेगा।
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